भारत के ज्ञान, संस्कृति और प्राचीन वाड्मय को सुरक्षित रखने वाली संस्कृत भाषा हमारा मूल है, हमारा परिचय है और हमारी प्रगति का आधार है । आज एक ओर भारत के दर्शन, योग, ज्योतिष, चिकित्सा, वास्तु, साहित्य, गणित आदि विषयों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए, दूसरी ओर अपनी परम सुव्यवस्थित व्याकरण एवं नवीन शब्द-निर्माण-क्षमता के कारण, संगणक के लिए उपयुक््ततम भाषा के रूप में, संस्कृत भाषा का ज्ञान अनिवार्य हो गया है । आज हमें संस्कृत के प्राचीन वाडूमय के अध्ययन तथा संस्कृत भाषा द्वारा अभिव्यक्ति, दोनों की आवश्यकता है । अतः संस्कृत-शिक्षण ऐसा हो जो विद्यार्थी को भाषा के साहित्यिक रूप और उसके व्यावहारिक स्वरूप दोनों से परिचित कराए। संस्कृत शिक्षण भाषा के चारों कौशलों-- श्रवण, बाचन, पठन और लेखन-- का विकास करे। छात्र भाषा का अवबोधन, उसका वाचन, उसमें चिन्तन कर सकें, उसमें संभाषण तथा रचनात्मक अभिव्यक्ति कर सकें। इन्हीं उद्देश्यों कौ पूर्ति हेतु प्रस्तुत पुस्तक- शृंखला बाल-संस्कृत-कणिका की रचना की गई है।
सुधी शिक्षक बन्थुओं और छात्रों ने बाल-संस्कृत-कणिका को स्वीकारा और सराहा, अतः उनके प्रति हार्दिक आभार प्रकट करती हँ! उनके उत्साहबर्धन के फलस्वरूप इन पुस्तक को नए रूप में प्रस्तुत करते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है।
इस शृंखला की पुस्तकें है-
1. बाल-संस्कृत-कणिका -- प्रवेशिका (कक्षा 5 के लिए)
2. बाल-संस्कृत-कणिका -- प्रथमो भागः (कक्षा 6 के लिए)
3. बाल-संस्कृत-कणिका -- द्वितीयो भाग: (कक्षा 7 के लिए)
4. बाल-संस्कृत-कणिका -- तृतीयो भाग: (कक्षा 8 के लिए)
यह पुस्तक- श्रृंखला संस्कृत के विशाल रत्लागार की कुछ मणियों के रूप में है, जो विद्यार्थियो को संस्कृत ज्ञान-गंगा में अवगाहन के लिए प्रेरित करेगी।
इन पुस्तकों की कुछ विशिष्टताऐ हैं -
* प्रस्तुत पुस्तकें एन. सी. ईं. आर. टी. के नवीनतम पाठ्यक्रम की समस्त अपेक्षाओ को पूर्ण करती है।
* अभ्यासो के विबिधता-पूर्ण प्रश्न छात्रो के अवबोधन तथा अभिव्यक्ति को परिपुष्ट करते हैँ।
* अभ्यासों के बर्णविच्छेद, बर्णसंयोजन, उच्चारण एवं अशुद्धि-संशोधन संबंधित प्रश्न शुद्ध-उच्चारण और वर्तनी के अभ्यास में सहायक है।
* श्रवण-भाषण संबधित अभ्यासा द्वारा छात्रो कौ संभाषण क्षमता का विकास होगा|
* रचनात्मक लेखन आधारित अभ्यासों द्वारा छात्रों कौ भाषा में चिन्तन एवं अभिव्यक्ति को प्रोत्साहन मिलेगा।
* 'क्रिया-कलाप:' द्वारा विभिन्न प्रकार के सामूहिक खेलों, प्रतियोगिताओं, संवाद, अभिनय, श्लोकों के सस्वर बाचन आदि क्रियाकलापों से छात्र भाषा के व्यावहारिक और जीवन्त रूप से परिचय प्राप्त करेंगे तथा भाषा में उनकी अभिरुचि बढेगी।
* योग्यता-विस्तार इन पुस्तकों की एक और महत्त्वपूर्ण विशिष्टता है। इसमें संस्कृत की विशिष्टताओ, उसके सौन्दर्य, अन्य भाषाओं के साथ समानता के साथ-साथ व्याकरण के बिन्दुओं को भी स्पष्ट किया गया है।
* इन पुस्तकों की मनोहारी विशिष्टता है इनके सरल और मनभावन गीत। छात्र इन गीतों को गाँगे, गुनगुनाएँगे और सहज-स्वाभाविक रूप से भाषा के साथ अपनत्व के बन्धन में बैध जाऐँगे।
* पाठों के विषय विविधतापूर्ण, छात्रों की रुचि के अनुकूल और प्रतिदिन के जीबन की परिस्थितियों से संबंधित हँ। चित्रकथाओं, संबाद, पद्य, निबंध, नाटक, श्लोक आदि समस्त विधाओं का पुस्तक में समावेश है।
* पाठों कौ भाषा सरल, व्याबहारिक तथा संबादात्मक है।
* पाठों में मुख्य पाठ्य बिन्दुओं का परिचय, बिकास तथा पुनरावृत्ति की गई है जिससे संस्कृत का अध्यापन सहज और सरल हो सके।
* पाठों के विषयों का चयन इस प्रकार किया गया कि उनसे नैतिक-गुणों, राष्ट्रीय, सामाजिक, सांस्कृतिक चेतना तथा जीवन-पूल्यों का विकास हो तथा संस्कृत साहित्य के प्रति अभिरुचि जाग्रत हो।
* अध्ययन कौ सुविधा के लिए पाठों के अन्त में शब्दार्थ तथा पुस्तक के अन्त में व्याकरण दी गई है
* पाठों द्वारा छात्रो में सौन्दर्य-बोध तथा कल्पनाशीलता को जाग्रत करने के साथ-साथ संस्कृति एबं भाषा के प्रति उनके सम्मान को भी जाग्रत करने का प्रयास किया गया है।
* अभ्यास भाषा के व्याकरण के बिन्दुओ को समझने और उनके सम्यक् अभ्यास में सहायक है.
* छात्रो की सहायतार्थ प्रत्येक पाठ पर आधारित अभ्यास-पत्रिका भी दी गई है जिससे व्याकरण तथा अभिव्यक्ति एवं रचनात्मकता का और अभ्यास कर सकें।
* अनुवाद आधुनिक युग की सशक्त विधा है अत: प्रत्येक पाठ के अभ्यास में उसे भी महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
* सुन्दर, रंगीन और आकर्षक चित्र छात्रों की कल्पनाशीलता की अभिवृद्धि करेंगे और संस्कृत अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करेंगे!
* अभ्यास रुचिकर है, छात्रों को संस्कृत भाषा में सोचने, समझने और अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित करते है
* अध्यापको की सुविधा हेतु अध्यापक पुस्तिकाऐँ उपलब्ध हैं ताकि वे छात्र-छात्राओ का समुचित मार्गदर्शन कर सकें। मुज्ले आशा ही नर्ही, अपितु विश्वास है कि इस पुस्तक के अध्ययनोपरान्त छात्रो में संस्कृत अध्ययन के प्रति अभिरुचि जाग्रत होगी और नवमी तथा दशमी कक्षा की पुस्तकों
का अवबोधन उनके लिए सहज और सरल हो जाएगा। अपने शिक्षक-समाज के प्रति पुनः आभार प्रकट करती हूँ,
उनके स्नेह, मार्गदर्शन और आशीर्वाद कौ सर्वदा अपेक्षा करते हुए .....
भगिनी
-" आशा लता चौधरी